जय श्री राम जय श्री राम

#लक्ष्मणरेखा एक मिथक या सत्य ......


#लक्ष्मणरेखा एक मिथक या सत्य ?

महान आश्चर्य इस बात का है कभी कभी रामायण और श्रीराम को ठीक से न समझ पाने वाले कुछ अल्पज्ञानी व् आधुनिकतावादी रामायण जैसे महान ग्रंथ के विषयों पर सवाल उठाते हैं।जैसे कि एक विषय #लक्ष्मणरेखा। कुछ लोग शंका जाहिर करते हैं और कहते हैं कि लक्ष्मणरेखा का उल्लेख न तो वाल्मीकि #रामायण में है और न तुलसीदास जी की #रामचरितमानस में।
फिर ये लक्ष्मण रेखा कहाँ से आयी ?


सबसे पहले तो ये प्रश्न उठता है कि यदि लक्ष्मणरेखा नहीं थी तो फिर रावण सीता को चोरी करने आया था तो वो सीधे पर्णकुटी में घुसकर क्यों नहीं उठा ले गया?क्यों माता सीता को बाहर आने के लिये बाध्य किया?
मित्रों लकीर के फकीर बनने और केवल पुस्तक पढने से कुछ नहीं होता।वस्तुतः ग्रंथों को पढने के लिये वैसी सोच व बुद्धि की आवश्यकता होती है।अब रेखा का अर्थ क्या है ?
क्या वास्तव में लक्ष्मण रेखा खींची गयी थी।
अब गोस्वामी तुलसीदास जी कृत रामचरितमानस में इसका संकेत विवरण मिलता है।अब कोई इतना समर्थ विद्वान नहीं जो रामचरितमानस की चौपाईयों की स्पष्ट और सही व्याख्या कर सके।
अब जरा इस चौपाई पर ध्यान दीजियेः

"मरम बचन जब सीता बोला।
हरि प्रेरित लछिमन मन डोला।
बन दिसि देव सौंपि सब काहू।
चले जहाँ रावन ससि राहू।"
#अरण्यकाड रामचरितमानस
इस पर जब सीताजी कुछमर्म वचन कहने लगीं तब भगवान की प्रेरणा से लक्ष्मण जी का मन चँचल हो उठा।वे श्रीसीता जीको वन और दिशाओं के देवताओं को सौंपकर वहाँ चले जहाँ रावण रूपी चंद्रमा के लिए राहुरूपी श्री राम जी थे।

अब प्रमुख प्रश्न ये दस दिशायें को कैसे सौंपा?
क्या विधि थी ये?
पर्णकुटी से निकलने से पूर्व इन दस दिशाओं के देवताओं का आहवान क्यों किया ?
वास्तव में ये एक दिगबंध कवच का निर्माण करना था।जिसकी विधि करन्यास और अरन्यास विधि के द्वारा दसो दिशाओं के देवताओं का आहवान हथेली पर ताली बजाकर और हवा में सभी दिशाओं में चुटकी बजाकर एक कवच का निर्माण किया जाता है जिससे दुष्ट शक्तियों का प्रवेश न हो सके।
दूसरा तथ्यः
#भगवान_राम और #लक्ष्मण जी की सभी शक्तियों के स्त्रोतों आयुधों दिव्यास्त्रों का वर्णन है वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में।
ये शक्तियाँ #गुप्त होती हैं जिनका कभीए प्राकटय नहीं किया जाता।ठीक उसी प्रकार से लक्ष्मणरेखा भी थी।जोकि एक गुप्त विद्या थी ये दिगबंध कवच से ही संबंधित थी।यही कारण था कि रावण पंचवटी स्थित पर्णकुटी में प्रवेश नहीं कर पाया था।
तीसरा तथ्यः
भगवान राम छदमवेश मृग रूपी मारीच को मारने जाने से पहले लक्ष्मण की सुरक्षा में सीता माता को छोडकर गये थे।इसी को लक्ष्मण रेखा भी मान सकते हैं लक्ष्मण ने कुटी के चारों और वास्तव में दिगबंध कवच का निर्माण किया था।जब लक्ष्मण माता सीता के मर्म वचनों से आहत होकर कुटी से निकले तब माता सीता को कुटी से बाहर न निकलने को कहा।
परंतु रावण द्वारा उकसाये जाने पर कुटिया से बाहर आकर भिक्षा देने को कहा।तब माता सीता कुटी से बाहर निकली इसको लक्ष्मण रेखा से बाहर निकलना अर्थात् लक्ष्मण को दिये वचनों को तोडना यही लक्ष्मण रेखा को पार करना माना गया था।
पंचवटी जो आज वर्तमान में नासिक महाराष्ट्र में है।यहाँ से करीबन 15 किलोमीटर आगे पंचवटी में भगवान राम की कुटिया है। वहाँ पर आज भी लक्ष्मण द्वारा खींची गयी लक्ष्मणरेखा प्रमाण तथ्य के रूप में है।
प्रमाण दो ही माने जाते है शास्त्रोक्त या स्थान विशेष।

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