प्रथम भगति संतन कर संगा । दूसरि रति मम कथा प्रसंगा ।।
दूसरि रति मम कथा प्रसंगा ।।
इस दुनियां में मात्र प्रभु कथा में वो सामर्थ्य है जो हमारे जीवन को भवसागर से भाव सागर में प्रवेश कराने का सामर्थ्य रखता है। कथा के अभाव में हमारा जीवन व्यथा से ज्यादा कुछ भी नही......
भवरोग मिटाने की केवल और केवल एक ही औषधि है
और वह है, प्रभु कथा।
जीवन अगर नाव है तो प्रभु कथा उसे डूबने से बचाने वाली पतवार।
जीवन अगर पतंग है तो प्रभु कथा उसे भटकने से बचाने वाली डोर।
और जीवन अगर एक वृक्ष है तो प्रभु कथा इसे सूखने से बचाने वाला खाद-पानी।
अतः प्रभु कथा का आश्रय लो यह आप को भव सागर से बचा लेगी व भाव सागर में प्रवेश करा देगी।
बोलिये श्री राघवेन्द्र सरकार की जय...

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